How TATA Handles its 9,35,000 Employees perfectly
जुटी हो तो बता की और नौकरी हो तो टाटा की ऐसा क्या करता है टाटा ग्रुप की बात सब लोग टाटा के यहां नौकरी करने के दीवाने हैं टाटा ग्रुप वह ग्रुप है जो कभी-कभी लॉस में रहने की बावजूद भी एंप्लॉय की सैलरी बढ़ा देता है टाटा ग्रुप वह ग्रुप है जो जरूरत पड़ने पे एंप्लॉई को भी पार्टनर बना देता है जहां आजकल के बिजनेसमैन कहते हैं ढंग के आदमी हमें मिलते नहीं है ढंग के आदमी हमारे पास रुकते नहीं है वहां पे टाटा ग्रुप 9 लाख 35 हजार एंप्लॉई को नौकरी देता है देश का तीसरा सबसे बड़ा एंप्लॉयर है भारतीय सी और इंडियन रेलवे के बाद सबसे ज्यादा नौकरी
टाटा ग्रुप देता है तो इतनी बड़ी वर्क फोर्स आखिर हायर कैसे करता होगा आखिर उनको ट्रेन कैसे करता होगा क्या सुविधा देता होगा कैसे उन्होंने सब को रोक के रखा है कैसे उन्होंने एम्पलाई का विश्वास जीत रखा है की एंप्लॉई अपनी पुरी लाइफ टाटा ग्रुप में नौकरी करता है फिर उसके बच्चे भी करते हैं और कई-कई टाटा ग्रुप में ऐसी भी एम्पलाइज हैं जो तीन-तीन जेनरेशन से टाटा ग्रुप के साथ कर रहे हैं आखिर वो ऐसा करता क्या है ये वीडियो आपको टाटा ग्रुप की महानता के बारे में तो बताएगी और देशवासी को घर भी महसूस करावेगी और अगर आप एक बिजनेसमैन है तो आपको एंप्लॉय की हायरिंग
ट्रेनिंग और मैनेजमेंट से रिलेटेड बहुत सारे गोल्डन नगेट्स यहां पे मिलने वाले हैं तो वीडियो अंत तक जरूर देखना अगर आप पुराने चाहने वाले हैं तो आप सबको धन्यवाद दोबारा से आपका वेलकम और अगर आप इस वीडियो को पहली बार देख रहे हैं तो भैया इस वीडियो पसंद आए लास्ट में तो वीडियो को लाइक करना और अगर इस तरह का कंटेंट अच्छा लगे तो चैनल को सब्सक्राइब भी कर देना जबरदस्ती नहीं बोल रहा सिर्फ आपकी इच्छा है [संगीत] देखो हर बिजनेस का ऑब्जेक्टिव होता है पैसा कामना उसके ओनर के पास बहुत सारे पैसे आए उसके इन्वर्स तन के बाद बहुत सारे पैसे हैं और बिजनेस ऐसे ही कम करता है
लेकिन टाटा ग्रुप कुछ अलग है टाटा ग्रुप कहता है की बिजनेस का उद्देश्य पैसे कामना है लेकिन सिर्फ ओनर के लिए नहीं उसे पैसे कमाने की प्रक्रिया के दौरान वेंडर भी खुश रहना चाहिए एंप्लॉय भी खुश रहना चाहिए हमारे कस्टमर भी खुश रहने चाहिए और आसपास की कम्युनिटी भी प्रसन्न रहनी चाहिए तो यह सबके लिए कम करता है अब ये बात मैं सिर्फ कहने के लिए नहीं कहूंगा मैं बहुत सारी किस सुनाऊंगा कहानियां सुनाऊंगा फैक्ट बताऊंगा और आपको केस स्टडी बताऊंगा की कैसे इस चीज को व्यवहार में भी लता है तो शुरू करते हैं उसे किस से जिससे टाटा ग्रुप की कहानी शुरू हुई टाटा ग्रुप के
फाउंडर जी द जमशेद जी टाटा और उन्होंने सबसे पहले इंप्रेस मिल्क की एक शुरुआत की थी जहां पे वो टेक्सटाइल के कपड़े वगैरा बनाया करते द टेक्सटाइल मिल का जो में कॉन्सेप्ट है वो आपको पता है इंग्लैंड में मैनचेस्टर में है जहां पे इसका बहुत बड़ा लेवल पे कम होता है जहां पे पूरे वर्ल्ड का सेंटर था एक समय पे तो वहां के ओनर तो खूब कम रहे द लेकिन लेबर की हालत बहुत खराब थी बहुत कम था जिसमें खाने पीने का भी मुश्किल से जुगाड़ हो पता था रहने की कोई खास सुविधा नहीं थी ठीक है 12 घंटे 14 घंटे कम कर रहे हैं कोई छुट्टी नहीं है मतलब बहुत ही अमानवीय परिस्थितियों में
लेबर वहां पर कम किया करते द लेकिन जब जमशेद जी ने इंप्रेस मिल में कम चालू किया उन्होंने कहा यार मेरा को तो प्रॉफिट कामना है लेकिन वैसा लेबर की हालत ही मुझसे नहीं देखी जाती तो आज के 140 साल पहले जमशेद जी ने इंप्रेसिबल में क्या-क्या सुविधाएं दी आप देखिए उन्होंने कहा गंदा पानी पीने से बहुत बीमारी होती है तो वाटर फिल्ट्रेशन उसे समय कितना महंगा आता था वो फैसिलिटी लगाई लेबर के लिए की यार इस शुद्ध पानी भी है इनके जो है बनाए इनके लिए झोपड़िया बनाई जो की एकदम सैनिटाइज थी एकदम क्लीन थी जाके ये ढंग से रह सके इनके लिए डिस्पेंसरी बनाई
अनाज के डिपो बनाएं जहां पे एंप्लॉई फ्री में अनाज ले सकते हैं या कम डोरो पर अनाज ले सकते हैं और यही नहीं रीडिंग रूम भी बनाया लाइब्रेरी बनाई और खेलने के लिए ग्राउंड तक बनाया इतनी सुविधाएं लेबर को उन्होंने 140 साल पहले दी थी पेंशन और ग्रेच्युटी के बारे में इंडिया छोड़ो वर्ल्ड में जब किसी ने नहीं सुना था सैन 1887 में जमशेदजी ना अपने एंप्लॉय के लिए पीएफ और ग्रेजुएट स्कीम लॉन्च की तो टाटा ग्रुप 152 साल पुराना ग्रुप है पर उसकी नींव में ही एंप्लॉई के लिए ध्यान रखना ये चीज उसके जो फाउंडर है जमशेद जी रख गए द और यही चीज आगे समय तक चलती रहे एक और
हिस्सा लेते टाटा केमिकल की जो फैक्ट्री बन रही थी मीठापुर में तो वह इधर तो फैक्ट्री बन रही थी फैक्ट्री के साथ-साथ उन्होंने कहा इस फैक्ट्री में जो लोग कम करेंगे और उनके रहने की व्यवस्था क्या होगी तो उसके लिए उन्होंने वहां पे टाउनशिप भी बनाई ऐसा नहीं की भाई ये कैसे भी तुम दो बना दो रह लेंगे जैसे-तैसे आप लोग तो कम बजट में कम कर नहीं उनकी सुविधा का बहुत ज्यादा ध्यान रखिएगा चौड़ी चौड़ी रोड है इलेक्ट्रिसिटी की सुविधा पानी की सुविधा एवं वहां पे गार्डन दिए गए सिनेमा हॉल्स बनवा गए ताकि एम्पलाई खुशी से रहे अब आप सोचिए अभी तो इधर फैक्ट्री बन्ना
चालू की है अभी तो पहले फैक्ट्री बनेगी फिर प्रोडक्शन होगा फिर शुरुआत में लॉस होगा पर जाके कब जाने जाके प्रॉफिट आएगा पर एम्पलाई की सुविधा तो फैक्ट्री बनने से पहले ही चालू कर दी गई है 1991 में टाटा केमिकल्स को बनकर 12 लोग हैं लेकिन अभी तक प्रॉफिट नहीं शुरुआत में इन्वेस्टमेंट इतना था की उसको रिकवर करते-करते 12 साल में प्रॉफिट का नामोनिशान नहीं था तो ऐसे स्थिति में क्या करना जी आज के स्टार्टअप क्या करते हैं वेतन का काट दो नौकरी से निकल दो इन्होंने कहा नहीं तनक भी जारी रहेगी नौकरी पे भी रहेंगे इनफेक्ट उनकी सैलरी बधाई गई अब जो उनकी सैलरी बधाई गई
तो पूछा की भाई साहब या तुम्हारे क्या पड़ी यार ये चीज बनाने की तो उसे समय जेआरडी टाटा द उन्होंने कहा था हमारा कम एमप्लीफायर शोषण करना नहीं है एंप्लॉय हमारे लिए टूल नहीं है एंप्लॉय हमारे लिए वो लोग हैं जिनका हमें कल्याण करना है तो भाई साहब हमारी फैक्ट्री में आएगा प्रॉफिट जब तक आएगा पर जो हमारे साथ कम कर रहा है वो खुश रहा है प्रसन्न रहे और ग्रोथ करता रहे हमारी जिम्मेदारी है उसका रिजल्ट ये था की अगले 20 साल में प्रॉफिट 20 गुना हो गया टाटा केमिकल का क्योंकि शुरुआत में ही था लॉस बाद में तो धीरे-धीरे कंपाउंडिंग होगी सारे लॉस हो गए प्रॉफिट भी ए गया तो
ये थी पावर एम्पलाई को साथ लेकर चलने ये तो ये दो किस से कितना ज्यादा टाटा अपने एंप्लॉय का ध्यान रखती है उसके अलावा एक किस्सा ये भी है की एक समय पे इन्होंने अपने एम्पलाई कोई कंपनी बेच दी थी एक हिस्सा यह भी है की एंप्लॉई की सुरक्षा के लिए रतन टाटा खुद प्लेइंग चलाने को तैयार हो गई थी वो किस्सा आगे सुनाएंगे पर उससे पहले आपको एक चीज बता दें की आखिर ये भैया इतना बड़े ग्रुप में हायरिंग के ऐसे होती है मगर इतना बड़ा ग्रुप है तो भैया मैनेजर बहुत सारे होंगे इतने मैनेजर की पोजीशन के लिए मैनेजर कहां से आते होंगे तो इसके लिए
जेआरडी टाटा ने एक चीज इंट्रोड्यूस की थी टी ए एस राव जी स क्या हुआ आईएएस क्या होता है आईएएस होता है इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज उसमें भाई साहब भारत के युवा लोग एग्जाम देते हैं और अगर पास होते तो फिर कलेक्टर और मैनेजर पोजीशन पे जाते हैं तो जिस प्रकार से इस के एग्जाम होते हैं टाटा में टी एस के एग्जाम होते हैं जिसमें टाटा ग्रुप के ही एंप्लॉई उसे एग्जाम को देते हैं परीक्षा पास करते हैं और उसमें जो स में जिसका सिलेक्शन होता है उसको फिर टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनी के मैनेजर के लिए चिन्ह किया जाता है इस स का सिंपल सा पर्पस है की भी जितने
भी यंग लोग हैं जो अभी जूनियर लेवल पे कम कर रहे हैं अगर अपनी प्रतिभा दिखाना चाहता है मैनेजर बन्ना चाहते हैं आओ भैया ये चीज पास करो बन जाओ अधिकारी तो हर साल लगभग 1500 से ज्यादा लोग एग्जाम देते हैं जिसमें से 25 से 35 लोग एवरेज सिलेक्ट करते हैं और उनको जो स की मैनेजिंग कमेटी है वो अलग-अलग हर से कॉन्टैक्ट में डालती है की भैया ठीक है ये बांदा इसने टी एस पास किया है ये केमिकल में कुछ करना था तो उसको टाटा केमिकल में कोई पोस्ट दो एक बांदा कहता है सर मैं मोटर में कुछ करना चाहता हूं चलो उसको टाटा मोटर में भेज दो तो जिसकी जैसी इच्छा है जिस फील्ड में हो
जाना जाता है उसे हिसाब से उसे डिपार्टमेंट में फिर उसको भेज दिया जाता है इसके अलावा 1966 में इन्होंने इंस्टीट्यूशन लॉन्च किया है टीएमसी टाटा मैनेजमेंट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट जिसमें कहते हैं की भैया कोई भी मैनेजमेंट का अच्छा जूनियर मैनेजमेंट हो चाहे सीनियर मैनेजमेंट हो उन व्यक्तियों को ट्रेन किया जाता है और आगे बढ़ाने के लिए और आपको एक इंटरेस्टिंग चीज बताता हूं टीएमसी इतना पॉप्युलर और इतना स्किलफुल था की उसे समय पे गवर्नमेंट इन से रिक्वेस्ट करती थी की यार हमारे अधिकारियों की भी ट्रेनिंग कर दो तो बहुत सारे आईएएस ऑफिसर ऐसे हैं जो
हाईएस्ट बन तो गए और गवर्नमेंट ने उनकी ट्रेनिंग के लिए उनको टाटा के पास भेजा उनकी ट्रेनिंग टीएमसी में हुई है इसे टीएमटी में एक बार राजीव गांधी जी ने भी लेक्चर लिया हुआ है तो टीएमसी अलग-अलग लेवल के प्रोग्राम चलती है जूनियर लोगों ने अलग प्रोग्राम है जो मैनेजर बन्ना चाहता है उसके लिए अलग है जो स्ट्रीट्स की लेवल पे बड़े लेवल पे परफॉर्म कर रहा है उसके लिए अलग है ऐसे अलग-अलग करके 100 से अधिक प्रोग्राम tmtg रन करती है और साल में ₹50000 से ज्यादा टाटा ग्रुप के एंप्लाइज को ये ट्रेन करते हैं अब आप में से कई लोग का रहे होंगे और ये तो टाटा एस
है देखो इन्होंने कर लिया ये मोटी-मोटी सैलरी देते होंगे बड़े-बड़े कॉलेज से ब्लॉग हीरे कर लेते होंगे आपके लिए एक इंटरेस्टिंग स्टोरी है जब टाइटन चालू हुआ था तो टाइटन की फैक्ट्री लगी थी होसुर में तमिलनाडु के अंदर एकदम से इंटीरियर का कम है मुझे यार यहां के लिए आदमी कैसे ले तो ये तो टेटस है मोटा पैकेज देते तो बड़े-बड़े बेंगलुरु से वहां से लोग ए जाते हैं इनका नहीं जहां कम कर रहे हैं वहां के लोकल लोगों को भी रोजगार मिलना चाहिए तो बकायदा टाटा ग्रुप के कुछ एम्पलाइज की टीम गई गांव में और जाके बोलके आएगी कोई भी युवा गया टाइटन ग्रुप में नौकरी करना
चाहता है तो हो आर यू रिटर्न एग्जाम दो तो टाटा ने इस प्रकार 400 से ज्यादा लोगों को सिलेक्ट किया उनको बेंगलुरु के बड़े-बड़े इंजीनियर से घड़ी बनाने की बारीकियां उनको सिखाई और उनको टाइप कर दिया 450 अब आप बोलोगे 450 तो बहुत कम है लूट लिया बच्चों को सर इतना बड़ा अमाउंट उसे गांव के लोगों ने कभी देखा ही नहीं था बहुत बड़ी बात थी उसे समय 450 रुपए देना उसे समय जो टाइटन की जितने भी इनिशियल एम्पलाई द इसमें से 85% ऐसे लोग द जो ग्रेजुएट भी नहीं द तो आपको लग रहा है टाटा से बड़े-बड़े लोगों को कॉलेज वालों को या उनको हीरे करता है
नहीं वो जहां भी कम करता है आसपास के लोकल्स को जरूर हीरे करता है वो कहते हो तो ठीक नहीं तो फिर उनको कैपेबल बनाता है तो टोटल सिर्फ टाइटन टाइटन ग्रुप में 33000 युवाओं को डायरेक्टली इनडायरेक्टली बेनिफिट टाइटन में इस प्रकार से मिला की युवाओं को ट्रेनिंग दी गई और उनको नेक्स्ट लेवल पे पहुंचा गया अब आपको लगता है सर ये तो नॉन टेक्निकल दाग घड़ी बनाना कौन सी बड़ी बात थी किसी को भी लेबर को बुला लिया सिखा दिया सर सॉफ्टवेयर कोडिंग करना तो हल्की बात नहीं है ना वो भी डाटा ऐसे ही करता है अब बात करते हैं तीसरी से जो टाटा ग्रुप का हीरा है जो उनका
लिक्विड जेनरेट करता है ठीक है उसमें क्या होता है जब पहली बार टीसीएस आगे बढ़ा और उसको इंजीनियर की जरूरत थी देश में इंजीनियरिंग नहीं द उसे समय इंजीनियरिंग का इतना दबदबा ही नहीं था इन फैक्ट पहली बार आईआईटी का कोर्स में मैच का जो कोर्स लॉन्च किया वो टीसीएस के जो पहले डायरेक्टर द एफसी कल इन्होंने लॉन्च किया क्या मैच का कोर्स तो लॉन्च करो इनको लड़कों को भाई साहब सिखाओ तो सही तो अगर आज की रेट में आईआईटी जी के लिए जो भीड़ लगी हुई है जो लोग इंजीनियर बन्ना चाह रहे हैं वो इसलिए बन्ना चाह रहे हैं क्योंकि एफसी कोहली ने पहली बार ये चीज
इंट्रोड्यूस की थी और पहले बैच की जितनी भी लोग द सबको हायर करके उस भेजा था कम के लिए तो लोगों को लगा रहे तो गजब चीज है शुरुआत में जब टाटा ने की थी टाटा के लिए द और उसे उन्होंने कम किया लेकिन 91 के बाद बाकी कंपनी अभी आई इंफोसिस भी ए गई भाई साहब विप्रो भी ए गई कल भी ए गई अब कंपटीशन बन गया अब क्या करें तो इन्होंने कहा है कोई इंजीनियर को लेकर कंपटीशन बढ़ गया ना कोई नहीं मेरे को कंप्यूटर इंजीनियर नहीं चाहिए नॉर्मल इंजीनियर भी दे दो 6 महीने का कोर्स इग्नाइट वो कोर्स कराएंगे कोई सा भी इंजीनियर हो टेक्निकल भी हो 6 महीने में हम उसको इनफ
कोडिंग सिखा देंगे की वो भैया हमारे लिए कम करने लायक हो जाएगा दूसरा टाटा अगर जैसा मैंने कहा की इनको पूरे देश का डेवलपमेंट करना है तो टाटा ने कहा देखो ऐसा जब भी हम कोई कम कर देना बॉम्बे दिल्ली बैंगलोर और पुणे बड़े-बड़े शहरों से तो लोग ए जाते हैं छोटे शहरों का क्या तो इन्होंने स्पेशल प्रोग्राम चला गया टीसीएस में जो अब हायरिंग करेंगे उसके लिए जो ऐसे एरिया जिन पे कोई ध्यान नहीं देता वहां भी अर्निंग करेंगे तो उन्होंने असम मेघालय इन इंटीरियर एरिया में गए वहां पे जाके लोगों को बोला और वहां के लोगों को वहां से लेकर आए उनको ट्रेन किया और फिर
टीसीएस में जॉब थी तो जो पहला बैच ये वहां से सिलेक्ट करके ले द 500 लोगों का था 500 लोग जो सिलेक्ट किए उसमें 60% ऐसे लोग द जो उनकी परिवार में पहली बार ग्रेजुएशन उन्होंने किया था उसके पहले कोई पढ़ा लिखा नहीं था पहली बार उनको टीसीएस में ट्रेनिंग मिली है सीखने को मिला 60% ऐसे लोग द जो छोटे हैं एकदम गांव धनिया से आए द एकदम वो भी पूर्वोत्तर की धनिया तो आप सोचो हमारे में शहर की गांव अंडर डिवेलप होती है तो जो एरिया जो वैसे ही डिवेलप शेयर करना और कम करना आता है और यहीं पर
हमारे व्यापारी मात खा जाते हैं क्योंकि ना तो इनमें हायरिंग की बहुत बढ़िया स्किल की हम कैसे बढ़िया हायरिंग करें और हायरिंग जैसे तैसे कर भी लेते हैं उसको सीखना कैसे समझाना कैसे रोकना कैसे ये बेसिक चीजों में व्यापारी मारा जाता है और जब तक ये एम्पलाइज के सेट नहीं होंगे वो फ्री नहीं होगा और बिजनेस उसका ग्रो नहीं होगा तो डिफरेंस व्यापारी और सीईओ में यही है क्या की व्यापारी अटका हुआ है और को आगे बढ़ता जा रहा है तो अगर वो सिर्फ मैनेजमेंट हायरिंग सिख जाए तो उसके आगे बढ़ाने के चांसेस कई गुना बढ़ जाता है तो अगर आप में से कोई व्यापारी और आप चाहते
मेरे साथ भी है मैं भी जानना चाहता हूं आखिर गलती क्या कर रहा हूं और मैं सीखे कैसे सुधु कैसे मैं भी देश के लिए कुछ करना चाह रहा हूं मैं भी आसपास के समाज के लिए कुछ करना चाह रहा हूं लेकिन अटका हूं पर अगर आप सीखना चाहते हैं तो मैं हर सन्डे करता हूं 10 से 2 व्यापारी तू सी यू तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है आप चाहे तो वहां पर रजिस्टर्ड कर सकते हैं और फिर अपन अगले सन्डे मिलेंगे लाइव 10:00 बजे आप और मैं सीधे लेट्स मूव तू डी स्टोरी पे मैंने केस स्टडी बनाई थी उसमें मैंने आपको बताया था की के पहले प्लांट हुआ करते द प्लांटेशन था इनके खुद के बगान
हुआ करते द यह चाहे तोड़ते के बेचते द और एजेंट इनसे लेते द डायरेक्ट मार्केट में नहीं भेजते द तो टाटा tiblar अब तो ब्रांड बन्ना है तो बगान बगान से थोड़ा सा फ्री होना पड़ेगा क्योंकि बगान में लगे रहेंगे तो ब्रांड पे कम नहीं हो पाएगा तो बगान का क्या करें इनके पास एक बाग था जिसका नाम था कानन देवगन हिल प्लांट टेशन केडी एचपी ये टोटल 17 बगान द और इसमें जो एरिया था वो था 23783 है टियर इतना बड़ा एरिया अब उन्होंने कहा इससे हमको बाहर आना है अब इसमें हो रहा था लॉस तो तीन ऑप्शन द एक ये बगान किसी और को भेज दो तो टाटा कंपनी का
ठीक है भेज तो देंगे पर जो आदमी इसको खरीदेगा वो बोलेगा यार भाई साहब लॉस है इसमें तो सबसे पहले क्या करेगा एंप्लॉय के वेलफेयर की जितनी स्कीम चल रही है सब बंद कर देगा फिर दूसरा क्या करेगा इनमें से क्यों को नौकरी से निकल देगा और यहां पर 13000 एम्पलाई कम कर दे मेरे पास और कई कई तो तीन जेनरेशन से भी कम कर रहे हैं उन भी चारों का क्या होगा बोले यार बेचेंगे तो नहीं फिर दूसरा ऑप्शन था बंद कर दे उसने कहा यार बंद करेंगे तो वही बात है फिर 13000 आदमियों की जॉब जाएगी कैसे करें किसी को बेचेंगे तो अहो की जॉब जाएगी बंद कर देंगे तोहर होगी जाएगी क्या करें क्या
करें क्या करें तो इन्होंने वह डिस्चार्ज लिया जो वर्ल्ड में कोई नहीं ले पाया इन्होंने कहा एक कम करते हैं ये 27000 एकड़ से भी ज्यादा के बाहर इन एंप्लॉय को ही भेज देते हैं तो इन्होंने एक अलग से कंपनी बनाई केडी एचपीसी कानन देवन हिल प्लांटेशन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड उसमें 68% शेयर एम्पलाई को बोला भैया यह तुम खरीद लो 18% शेयर मैनेजमेंट ने खुद ने रखे की ये मैनेजमेंट हम करेंगे तो हमारा और 14% ट्रस्ट को दे दी ताकि जितनी भी कमाई है उसका 14% अपने आप ही डैन दक्षिण में चला जाए ये 68% तो शेयर भी 13000 आदमी को बोला देखो भाई सुनो यह कंपनी की 68% शेर से
पहले एक आदमी को मिनिमम 300 शेयर खरीदना है तो अपने घर से जिसके पास भी जो भी सेविंग थी उन्होंने 300 शेयर का भुगतान किया सब शेयर होल्डर बन गए अब ये एम्पलाई नहीं है अब ये सप्लाई पी लेंगे और हम आगे भेज देंगे अब तुम्हारा मुनाफा तो देखते ही देखते ही एंप्लॉई से हो गए सप्लाई अब एक इंटरेस्टिंग चीज जब ये इनके एम्पलाई द इनके लिए उन्होंने बहुत सारी सुविधा दे राखी थी हॉस्पिटल था जिसमें फ्री इलाज होता था स्कूल था जिसमें फ्री बच्चे पढ़ते द और बहुत सारी सुविधाएं दे राखी थी अभी एम्पलाई तो नहीं ये तो सप्लायर बन गए तो लॉजिकल क्या है सुविधा
बंद कर दो टाटा ग्रुप नहीं नहीं वो तो चलने दो अब जो चालू किया है वो क्यों अंदर तो एवं एंप्लॉय नहीं रहे उसके बावजूद भी वो सुविधाएं तो यह देखते ही रहे और साल में 15 करोड़ का खर्चा इस पे अकेले पे आता है फिर भी टाटा ग्रुप पीछे नहीं हटा अब टाटा जी प्लेन चलाने पे कब तैयार हो गए सब टाटा मोटर का जो पुणे प्लांट है उसके हेड से प्रकाश टैलेंट है तो एकदम से रेगुलर बेसिस पे बातचीत होती तो एकदम से पता चला की प्रकाश तेलंगी को हार्ट अटैक आया है या उनकी हालत थोड़ी खराब हो गई अब उनको भाई साहब तुरंत लेकर जाना है हॉस्पिटल मुंबई तो पता चला भैया हालत खराब है जल्दी से
जल्दी पहुंचाना है अब पुणे से एंबुलेंस मंगाई गई और भैया उनका मुंबई लेकर जाना है अब का देखो एंबुलेंस जाने कब आएगी कब जाएगी एंबुलेंस तुरंत अगर व्यवस्था होती है तो ठीक है नहीं होती है तो टाटा ग्रुप का प्लेन में लेके जाओ बोले यार प्लेन तो है सर पायलट नहीं है बोले पायलट नहीं है मैं खुद udaunga लेकिन इसको तुरंत प्रभाव से लेकर जाओ वो ऐसी स्थिति हुई की भाई उसे समय एंबुलेंस की तुरंत व्यवस्था हुई और उनको ले जया गया नहीं तो टाटरी खुद तैयार द की कंपनी के प्लेन में मैं खुद उदा के लेके जाऊंगा मेरे एम्पलाई की मुझे इतने ध्यान है फाइनली वो हॉस्पिटल में पहुंच गए
अगले दिन रतन टाटा खुद वहां पे मौजूद द उनके कमरे के बाहर ध्यान रखने के लिए भैया कैसा हुआ और बेस्ट डॉक्टर से उनका इलाज करवाया गया लेकिन वो कुछ समय ऑब्जर्वेशन में ओबवियसली उनको रहना ही था हर साल टाटा ग्रुप के पुणे प्लांट पे 1 अप्रैल को इवेंट होता है जिसमें जो उसका प्लांट होता है वो एक भाषण देता है अब अब की बार तो भाई साहब भाई साहब तो हॉस्पिटल में है तो भाषण कौन देगा आपकी बार भाषण कैंसिल रतन टाटा ने कहा वीडियो रिकॉर्डिंग की स्पेशल व्यवस्था की जाए वह हॉस्पिटल के रूम से ही हमको संबोधित करेंगे पर यह इवेंट तो तभी चालू
होगा जब वो भाषण देंगे और यही वो कमिटमेंट है जो एंप्लॉय को टाटा ग्रुप के लिए कुछ भी करने को तैयार कर देता है जिस दिन टाटा के रूप में अटैक हुआ था आतंकवादी घुस गए द 1200 गेस्ट द और 600 एम्पलाई द टोटल 1800 लोग द बस सिर्फ 31 लोगों की दुखद मृत्यु हुई वहां पे क्यों हुई भाई साहब जितने भी एम्पलाइज द सबको एग्जिट पोल बताते चाहते तो तुरंत भाग जाते हैं और कोई भी नहीं भाग सब वहीं रुके रहे गेस्ट की सुरक्षा में लगे रहे जीत जो रिसेप्शन पर बैठे द रिसेप्शनिस्ट वो बकायदा उन्होंने फोन छोड़ा ही नहीं और एक-एक गेस्ट को सूचित करते रहे की आतंकवादियों का मूवमेंट चल
रहा है कई ऐसे लोग द जो अटैक के टाइम पे बाहर से होटल से उनको पता चला की अटैक हो गया आतंकवादी है वो दूसरे रास्तों से वापस अंदर गए हेल्प करने के लिए जब सब गेस्ट वापस ए रहे द और आतंकवादी गोली पर ए रहे द बीच में ह्यूमन चैन एम्पलाइज का उनके पति रतन टाटा जी ने कैसा रिएक्ट किया इसका यह किया उन्होंने कहा देखो ऐसा है 21 दिन होटल बंद रहा था उसके बाद चालू हो गया था किसी की भी सैलरी नहीं कटेगी किसी भी व्यक्ति का एंप्लॉयमेंट नहीं जाएगा जिन भी लोगों की मृत्यु हुई थी उनको मृत्यु की डेट से लेकर उनके रिटायरमेंट की डेट तक जितने भी सैलरी बनती
थी सब एक साथ उनके परिवारों को दी गई फिर उनके परिवार से एक आदमी को उनकी जगह पे जॉब पे लगाया गया और 21 दिन बाद वापस ग्रुप तैयार था तो ये था रतन टाटा जी का एंप्लॉय के प्रति कमेंट में और एम्पलाई का उनके प्रति कमेंट और टाटा ग्रुप तो ऐसे भरा पड़ा है मतलब मैंने ये वीडियो में नहीं शायद 18 मिनट की ऐसे 18 गया 180 मिनट भी मैं बोलता रहूंगा तो बहुत सारे किस बहुत सारे एग्जांपल हैं जब टाटा ने प्रूफ किया की वो एंप्लॉय के लिए क्या कर सकता है और एंप्लॉय ने प्रूफ किया की वोट हटा के लिए क्या कुछ करने को तैयार है मेरे ऐसा मानना है की देखो अगर तुम चाहते हो की
एम्पलाई तुम्हारी कदर करें तुम एंप्लॉय की कदर करो वो तुम चाहते हो की वो एक कदम बधाई तुम एक कदम बढ़ाओ एम्पलाई 10 कदम बढ़ाएगा ये मैं आपको गारंटी देता हूं पर एक कदम पहले आपको बढ़ाना पड़ेगा आप सोचो लिए कुछ करके दिखाता हूं मैं कर डन तो रतन टाटा भी ऐसा ही सोचते की ये कुछ करें तो सही फिर मैं कर डन उन्होंने एक्सपेक्टेशन नहीं किया उन्होंने पहले किया और फिर एंप्लॉय ने अंगूर रिटर्न भी दिया तो ये थी टाटा ग्रुप की कहानी और इसी के साथ ये सीरीज को मैं एक बार एंड करता हूं बहुत सारे चीज है टाटा ग्रुप में कहने को उसे पर पार्ट तू में सीजन तू में बातें होंगी
सीजन वैन के लिए इतना ही वैन प्रिपेयर करते हैं खुद को शर्तें के लिए तो आपसे शार्क टैंक पे बहुत सारे रिव्यूज वीडियो आपको मेरी तरफ से मिलेंगे और भी कोई चीज है कोई टॉपिक है मुझे चैट बॉक्स में बताइए जो वीडियो बनाते हैं आज का टॉपिक कैसा लगा ये भी मुझे बताइए चैनल को सब्सक्राइब करो अच्छा लगे तो कर देना कोई जबरदस्ती नहीं है ठीक है धन्यवाद जय हिंद