रतन टाटा का दूसरा रूप | Ratan Tata Biography | Tata Case Study
रतन टाटा ये नाम जब आप सुनते हैं तो आपके दिमाग में क्या इमेज आती है शांत विनम्र सौम्या जेंटल राहुल द्रविड़ टाइप लेकिन अगर मैं आपको बताऊं की जरूरत पड़ने पर रत्न डाटा जी सहवाग जैसे अंग्रेजी भी हो जाते हैं गुस्सा भी करते हैं धमकाते भी है फुल एग्रेसन दिखाते हैं आज इस वीडियो में आपको दिखाने वाला हूं रतन टाटा जी का दूसरा रूप जी हान एक लीडर तभी सफल होता है जब उसको कम करवाना आता है अब वो कम प्यार से हो चाहे गुस्से से दोनों रूप आने चाहिए तो आज देखते हैं रतन टाटा का दूसरा रूप क्योंकि रतन टाटा जी अगर नहीं होते तो टाटा ग्रुप आज जहां पे है ना वहां बिल्कुल
नहीं होता शायद आधा भी नहीं होता क्योंकि 91 के बाद जब उन्होंने चेयरमैन संभाली देश पूरा बदल चुका था इस बदलते देश में टाटा अगर कुछ संभालना और बढ़ाना बहुत बड़ी बात की जो टाटा ने बखूबी किया है आज के वीडियो में रतन टाटा जी के 21 साल की चेयरमैनशिप का पोस्टमार्टम करेंगे की उन 21 सालों में 91 से लेकर 2012 तक उन्हें क्या किया क्यों किया कैसे किया और कब किया [संगीत] रतन टाटा से पहले टाटा ग्रुप के चेयरमैन द जेआरडी टाटा चेयरमैन रहे वह इकलौते ऐसे बिजनेसमैन है जिनको भारत रत्न मिला है उनके अलावा आज तक किसी बिजनेसमैन को अवार्ड नहीं मिला
इन्हें भीष्म पितामह कहा जाता था भारतीय इंडस्ट्री का जब जेआरडी टाटा ने 1939 में चेयरमैन संभाली थी तब टाटा ग्रुप पर मात्रा 62 करोड़ की सेट थी और जब उन्होंने रतन टाटा को सौंप उसे दिन सेट थी 10000 करोड़ और ये सब तब हुआ था जब गवर्नमेंट ने नीतियां बिजनेसमैन के अगेंस्ट थी लाइसेंस राज था भ्रष्टाचार था एप्रुवल्स नहीं मिलती थी और टाटा ग्रुप की कई कंपनियों जैसे इनका बैंक इनकी इंश्योरेंस कंपनी और एयर इंडिया का अधिग्रहण कर लिया था तब यह हालत है 62 से 10000 अगर यह नहीं होता तो सोचो कहां ले जाते तो आप सोच रहे होंगे 25 मार्च 1991 को उन्होंने ओपन अनाउंसमेंट
कर दिया और इनको अगला चेयरमैन डिक्लेयर कर दिया रतन टाटा के बारे में इंटरेस्टिंग चीज आपको बताता हूं रतन टाटा जमशेदजी टाटा से डायरेक्टली रिलेशन में नहीं द रतन टाटा जी की जो पिताजी है उनको गोद लिया गया था टाटा फैमिली में तो सोचिए गर्द का दिल कितना बड़ा है की एक व्यक्ति जो गोद लिया गया है जो एक्चुअल फैमिली का भी नहीं है उसके बेटे को इन्होंने लीडरशिप ऑफ दी ये देखते हुए की टैलेंट है तो बात आते हैं और रतन टाटा जी पे तो रतन टाटा जी को जब बेटन हाथ में मिली जब टाटा ग्रुप के चेयरमैन उसे समय टाटा ग्रुप की चोरियां सी कंपनियों थी ₹24000 करोड़ का टर्नओवर था
2120 करोड़ का प्रॉफिट था और 10000 करोड़ मिल गई भाई साहब एक कांटो bharataaz है उसे समय जब इनको चेयरमैन से मिली बहुत सारी प्रॉब्लम थी टाटा ग्रुप के अंदर भी प्रॉब्लम चल रही थी बहुत सारी और टाटा ग्रुप के बाहर भी बहुत सारी प्रॉब्लम थी 91 मार्च 91 में इनको मिली थी भाई साहब स्पाइडर-मैन शिप उसके कुछ ही समय बाद पीवी नरसिंह राव मनमोहन सिंह जी ने मिलकर इकोनॉमी खोल दी लिबरलाइजेशन हो गया था पहले क्या था कोई भी कम करना है उसका लाइसेंस लेना पड़ता था बिना लाइसेंस के नहीं बैठ सकते द और मार्केट ओपन नहीं था तो कोई भी विदेशी कंपनी ए नहीं सकती थी
लिमिटेड कंपनियों थी लिमिटेड कम था और कम चल रहा था अब जब मार्केट खुल गया तो बहुत सारी विदेशी कंपनियों भी आएगी और पहले जिनको लाइसेंस मिला था से वही लोग कम कर रहे द अब तो लाइसेंस के रिटायरमेंट ही खत्म तो अब तो घर में भी बहुत सारे कंपटीशन है और बाहर से भी बहुत बड़ा कंपटीशन है और लड़ना है टाटा ग्रुप को और इंटरनल दिक्कत और चल रही है तो आपको क्या लग रहा है हमारे राहुल द्रविड़ टाइप शांत सौम्या आदमी संभल लेंगे नहीं इन्होंने देखा सहवाग वाला इन्होंने कहा भैया थोड़ा एकदम आगे बढ़ के फ्रंट फुट पे खेलना पड़ेगा आधी पिच पर मार के मारूंगा
तब जाके मार पड़ेगी तो इन्होंने एक-एक प्रॉब्लम को कैसे कैसे दूर किया सुनते जाओ पहली प्रॉब्लम यह थी की जो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर था ना पूरा वो बुजुर्गों से भरा हुआ था तो कोई वॉकर से चलकर ए रहा है कोई व्हीलचेयर पर ए रहा है है और कोई सुनने में दिक्कत है कोई बीच मीटिंग में ही सो जाता अब यह यंग आदमी यह प्रपोज रखे हम ऐसा करेंगे हम वैसा करेंगे कोई माने ना का रहा है जस्ट चल रहा है बस चलने दो अब कई बार ऐसा होता है जैसे फैमिली बिजनेस में होता है की बेटा कुछ नया करना चाहता है पिताजी कहते हैं नहीं बेटा जो हो रहा है वो चलने दे तो रिजल्ट इस चीज से बहुत ज्यादा
परेशान द आते ही सबसे पहली पॉलिसी वो लेके आया है जो मोदी जी लेके आए द उन्होंने कहा भैया ऐसा जो बुजुर्ग बुजुर्ग लोग हो गए ना इनको मार्गदर्शक मंडल में भेजो उन्होंने बकायदा रिटायरमेंट पॉलिसी बनाई की जितने भी एग्जीक्यूटिव लेवल के लोग हैं वो 65 वर्ष की उम्र पर रिटायर होंगे और जो चेयरमैन है वो 75 वर्ष की उम्र पे रिटायर होगा तो ये पहली पॉलिसी कारी तो जितने भी पुराने टेस्ट द सबको रिटायर किया और नए लोगों को भरा ताकि नई सोच के साथ कंपनी को आगे बढ़ाया जा सके मोदी जी ने भी यही किया था ऐसा नहीं बना के छोड़ दी फॉलो भीगी 2012 में जब वो 75 वर्ष के हुए उन्होंने
कहा भैया मैं टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से रिजाइन करता हूं और साइरस मिस्त्री को इन्होंने अपना उत्तराधिकारी बना दिया था चाहते तो लंबा रख सकते द इनमें टैलेंट भी था यह हेल्दी भी द लोग चाहते भी द लेकिन उन्होंने कहा नियम तो नियम है अब 2025 या 26 में मोदी जी भी हो रहे 75 साल के देखते हैं वो पालना करते हैं की नहीं दूसरी इंटरनल प्रॉब्लम क्या चल रही थी जेआरडी टाटा ने 53 साल चेयरमैन रहे उन्होंने लेकिन एक चीज की उन्होंने कहा है टाटा ग्रुप की चोरियां सी कंपनियों हैं हर ग्रुप में अगर मैं ही चेयरमैन रहूंगा और मैं ही सब चीज देखूंगा तो भैया फिर मैं
आगे की तो सोच ही नहीं पाऊंगा रूटीन में फैंस जाऊंगा तो उन्होंने क्या किया था की धीरे-धीरे अलग-अलग कम्युनिकेशन बना दिया और कहा की तुम इसको लीड करो जैसे दरबारी सेठ द उनको टाटा केमिकल का बना दिया किसी को टाटा स्टील का बना दिया सुमन mulgavkar को टाटा मोटर का बना दिया अब बात क्या हुई जब तक जेआरडी टाटा द तब तक तो वो इनकी क्योंकि इन्होंने इनको बड़ा किया था इन्होंने इनको ग्रूम किया था इन्होंने इनको इतनी पावर थी उनका सम्मान था उनके रहते नहीं रहे तो अब यह जो बड़े-बड़े छात्र 40-40 साल के एक्सपीरियंस अपनी अपनी कंपनी यह टाटा ग्रुप की ज्यादा सुनी नहीं रहे द
उसे समय यह अपनी-अपनी मस्ती में मगन अब इन्होंने कहा पहला चैलेंज तो ये है मेजर में जो कंपनी है उनमें भी मैच चेयरमैन बनाऊंगा और बाकी सबको अब टाटा ग्रुप जो में है उसकी बात सुन्नी होगी अपने-अपने हिसाब से चला नहीं सकते ये दूसरा इनका एग्रेसन मारा खत्म था तीसरा कदम क्या लिया देखो एक कंपनी है जिसमें 100% शेयर्स है अब जैसे-जैसे पैसे की जरूरत पड़ी या जैसे जैसे कहीं पार्टनरशिप तो धीरे-धीरे शेर थोड़े थोड़े छुट्टी गए आप इमेजिन करो टाटा स्टील में टाटा ग्रुप जो में है जिसमें प्रमोट किया था उसका शेर था 3% और बिरला ग्रुप जीडी बिरला जी जो बाहर गया आदमी द
उनका स्टेट था 6% एक तरह से टाटा स्टील में टाटा से बड़े शेयर होल्डर बिल्डर द लेकिन यह उन्होंने decreement इन लिया डिवीज़न लिया कभी इसमें जमाने की कोशिश नहीं की और अपना कम करने दिया रतन टाटा ने सोचा यह तो पुराने लोग द कम चल गया अब तो बाहर की कमी ए रही है ऐसा मौका मिलेगा तो इन कर्मियों में शेयर खरीद लेंगे अपनी दादागिरी चलाएंगे तो उन्होंने कहा ये टाटा ग्रुप जो में ग्रुप है इसकी शेयर बढ़ाने चाहिए बाकी ग्रुप कंपनी में तो रतन टाटा जी ने अगले 5 साल में धीरे-धीरे करके इन कंपनियों में अपना सटीक बढ़ाया परसेंटेज बढ़ाया ताकि कंपनी
हाथ से निकल ना जाए अगर रतन टाटा या अग्रेशन नहीं दिखाते ना तो ये टाटा ग्रुप इतना बड़ा होता नहीं टाटा उनकी छोटी-छोटी 50-60 कमी है इधर-उधर होती और बिना सपोर्ट के इसमें से कहीं तो मार भी जाती फिर एक बड़ा डिसीजन देखो सर आने आने की तो सब कोशिश कर लेते हैं की ये भी ले लिया वह भी ले लिया नया चालू करने में सबको मजा आता है पुराने से पिंड छुड़ाना जिगरे का कम है क्योंकि जो चीज चल रही है उसको कोई भी व्यक्ति अपने पुरखे की कोई चीज भेज देता है उसका नाम होता है अरे यार इससे सम्मिलित जमीन बीड दी वो वाली तो यह लांछन इन पर भी लग सकता था पर इन्होंने कहा देखो
सीधी सी बात है 91 ए गया है मार्केट खुल गया है कंपटीशन करना है तो जो ऑलरेडी प्रॉफिटेबल है उसे पर तो ज्यादा ध्यान जो बड़ा है उसे पर तू ज्यादा ध्यान और इधर की चीज है फालतू की चालू कर दी उसको करो बंद तो उन्होंने बहुत सारी कंपनियों लंबी अच्छी भी एक कंपनी इन्होंने बिछी अपने टॉम को टॉम को कंपनी जो थी ऑयल रेट प्रोडक्ट बना दी थी 1501 साबुन आता था तो इनका था इन्होंने हिंदुस्तान प्रोडक्ट है यह भी टाटा इन्होंने हाल को भेजा तो ये तीन ब्रांड इन्होंने एक्चुअल को भेजे थोड़ा हल्का किया इस सेक्टर से बाहर है ए सी सीमेंट जो आज एक बहुत बड़ा
ग्रुप है यह पर टाटा ने चलाया कई सालों फिर उन्होंने रतन टाटा जी ने इसको गुजरात अंबुजा सीमेंट को भेजा नेरोलैक पेंट जो है यह भी टाटा ग्रुप का ही था इन्होंने फिर उसको बेचा कोई सा भी ऐसा बिजनेस टाटा ग्रुप की सीधी फिलोस होती है या तो टॉप फाइव में आएंगे नहीं तो सेक्टर ही छोड़ देंगे तो इन्होंने हर वो सेक्टर देखा जहां पर टॉप है वो रखा जिम टॉप बन सकते हैं वो भी रखा जहां लगा एन तो है ना बन पाएंगे वह सब बेच दिया तो भाई लोग एक चीज आपने गौर से देखी इतनी 84 कंपनी होने के बावजूद भी इनके पास इतना टाइम था की आगे के विज़न की तैयारी कर लें और एनालिसिस कर ले की भैया
कौन सी कंपनी बन को रखनी चाहिए कौन सी में आगे बढ़ाना है और कौन सी में से बाहर आना है ये लीजिए क्यों कर पाए इतना टाइम इनके पास क्यों था क्योंकि रूटीन ऑपरेशन में बिजी नहीं द लीडर का कम हमेशा होता है स्ट्रेटजी बनाना बड़े डिसीजन लेना वो डिसीजन लेना जो कंपनी को कहीं लेकर जाएंगे उसका लिए सीईओ होना जरूरी है पर हम तो हैं व्यापारी भाई साहब जो रूटीन कम नहीं लगे रहते हैं रोज गले पे कौन बैठेगा रोज आदमी का हिसाब कौन लेगा रोज अटेंडेंस देखनी है मार्केटिंग की तैयारी करनी है फाइनेंस का हिसाब करना है करें तो क्या करें तो अगर आप व्यापारी हो कोई बिजनेस कर रहे हो या
चाय की दुकान है चाहे आपका ऑफिस है चाहे आपकी फैक्ट्री है कुछ भी पर आपको लगता है की सर मेरे में पोटेंशियल बहुत ज्यादा है पर मैं उसको कम में नहीं ले पता क्योंकि मैं तो रोटी में बिजी रहता हूं मैं भी फ्री होना चाहता हूं मैं भी विज़न नहीं रही बन्ना चाहता हूं मेरी आगे की सोचना चाहता हूं तो मैं एक सेशन लेता हूं हर सन्डे 10 से 2 व्यापारी तू सी यू तो अगर आप व्यापारी है क्यों है क्या कारण है क्या गलतियां कर रहे हैं इन सब चीज से मुक्त होना और एक्चुअल में को बनते कैसे हैं कु करता क्या है आपको वो भी करना है आपका बिजनेस पे कंट्रोल भी चाहिए और
फ्रीडम भी चाहिए तो इनवाइट यू तू ज्वाइन डेट क्लास तो इसका जो लिंक है वो डिस्क्रिप्शन में है जाके अभी के अभी रजिस्टर्ड कर लो अब अपन चलते हैं टाटा की स्टोरी में आगे एक और चेंज हो रतन टाटा जी लेकर आए रतन टाटा जी ने कहा हमने टाटा ग्रुप को जब जब मौका मिला एक नई कंपनी दल दी उसका नाम टाटा रख दिया अब उसे में कंपनी में हमारी ओनरशिप तो धीरे-धीरे कम हो रही है और तुम में के छात्र बैठे हो तुम राजा बन गए बैठे हो आप कुछ अच्छा हो जाता है तो बेनिफिट तुम्हारा और कुछ नेगेटिव हो गया तो नाम तो हमारा खराब होता है तो अगर तुम टाटा नाम ले रहे हो कम में
तो लगन देना पड़ेगा बकायदा जो भी कंपनी टाटा नाम कम में लेती है उन सब से एग्रीमेंट कराया ब्रांड प्रमोशन एग्रीमेंट और सबको कहा की भैया जो-जो कंपनी टाटा नाम कम मिलेगी अपने रेवेन्यू का सर्टेन हिस्सा टाटा को देगी और ग्रुप इसके बदले ब्रांड के प्रमोशन में मदद करता है और कोई दिक्कत आती है इन कंपनी को तो लास्ट टाइम पे हेल्प भी करता है जैसे आपको याद हो तो टाटा टैली सर्विसेज जो टाटा डोकोमो के साथ वेंचर था जब वो फैल हो गया था उसपे 30000 करोड़ का कट जाता तो चुका ने टाटा ग्रुप ही आड़े आया था एक ऐसी चीज जिसमें रतन टाटा जी का रियल एग्रेसन दिखता है और जिस
चीज को करके उन्होंने भारत का नाम पूरे विश्व में डंका बजा दिया और उनको देखा देखी जो मर्जर एक्विजिशन जो आज की डेट में होता है ना की एक कंपनी ने दूसरी कंपनी को खरीद लिया इंडियन कंपनी ने बाहर की कंपनी को खरीद लिया ये आजकल तो कॉमन बात हो गई ये जो कॉमन नहीं था तब रिजल्ट डाटा ने इसको करके दिखाया था इन्होंने क्या किया बाहर कंपनी में जाके बाहर कंपनियों खरीदने चालू की वो भी खुद से बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे टाटा टी खुद तो छोटी कंपनी है पर खुद से कई गुना बड़ी टेटली कंपनी को एक्वायर कर लिया भाई साहब जो भी बेस्ट हो ये मत सोचो की इंडिया में क्या बेस्ट है चाहे
टेक्नोलॉजी हो चाहे आदमी हो चाहे मटेरियल कुछ भी हो जहां पर वर्ल्ड का बेस्ट है वहां जाना है और तुम्हारे पास बनता है तो ठीक है नहीं तो जाकर खरीद लो देखी जाएगी फिर टाटा स्टील इधर कोर्स को जो उससे चार गुना बड़ी कंपनी थी फिर इधर टाटा मोटर ने खरीदा जैगुआर और लैंड रोवर को जो उससे पंच गुना बड़ी कंपनी थी तो कुल मिलाकर खुद से भी चार-चार पांच-पांच गुना बड़ी कंपनियों को खरीदने निकल गई टाटा ग्रुप की टीम और एक एक पोजीशन को लीड किया है रतन टाटा ने जैगुआर लैंड रोवर में तो बोर्ड में खुद बैठे द जब बिल्डिंग हुई थी जब यह आपका कोर्स वाला गेम था एक साल लगे रहे इसके
पीछे और करके ही माने और एक इंटरेस्टिंग चीज बताता हूं ये तीनों ही कंपनियों ब्रिटिश कंपनी है और इन तीनों कंपनियों को खरीद के ब्रिटिश में सबसे बड़े एंप्लॉय टाटा जी तो जब-जब यह पोजीशन हुए ब्रिटिश का दिमाग खराब होने लग गया बोले यार पहली बात तो वो देश जिस पर हमने 200 साल राज किया है उसी की कोई कंपनी ए रही है और हमारी कंपनियों को खरीद रही है और टेटली भी रिट्ज ब्रांड बचपन में जब यह पोंचे सारी कमियां प्रॉफिट में थी और पैसे पैसे ए रहे द नहीं भाई साहब जब यह आए तो टाटा स्टील लॉस में थी ये ऐसा था की इस साल तो 150 करोड़ का लॉस
किसी भी हालत में होना ही है क्योंकि मॉडर्नाइजेशन नहीं था पुराने पुराने 80 100-100 साल पुराने प्लांट है क्या करें इन्होंने मॉडर्नाइजेशन के लिए बोला बहुत सारे पोजीशन की है बहुत सारी फंडिंग का जुगाड़ किया और जहां लग रहा था की या 150 करोड़ का नुकसान तय है उसे साल प्रॉफिट हुआ टाटा स्टील को टाटा मोटर अपने इतिहास का सबसे बड़ा लॉस्ट लेके बैठी थी इन्होंने जाके टाटा मोटर को बोला की ऐसे नहीं है एक दो तीन चार चेंज करो चेंज को लेकर सीरियस नहीं द बीच मीटिंग में आकर उन्होंने कहा देखो तुम मेरी बात मैन रहे हो तो ठीक है नहीं तो या तो तुम में से किसी एक को
निकलूंगा और अगर तुम को लग रहा है की सारी इनकम में हो तो फिर मैं इसकी जिम्मेदारी लेकर मैं चेयरमैन चिप से इस्तीफा देता हूं अब जो पूरे ग्रुप में समझा की यार चेयरमैन का रहा है mastifai दे दूंगा तो फिर उनको थोड़ा सेंस आया और यह इनकी धमकी कम कर गई धीरे धीरे एग्जीक्यूटिव ने कम किया और फिर टाटा को भी इन्होंने प्रॉफिट की तरफ टर्न अराउंड किया एक्विजिशन की अगर हम बात करें तो रतन टाटा जी 91 के टाइम से लेके अब तक टाटा ग्रुप 36 से ज्यादा एक्विजिशन कर चुका है लगभग हर छह महीने में एक कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ ही जाके खरीदी लेते हैं
तो ये था रतन टाटा का टाटा ग्रुप में कंट्रीब्यूशन सोचो अगर ये 91 के टाइम ये नहीं होते ये ग्लोबलाइजेशन वाला मेथड कम में नहीं लेते यह पुराने लोगों को रिटायर नहीं करते या फिर ये उन कंपनियों का कंट्रोल हाथ में नहीं लेते तो आज टाटा ग्रुप शायद जैसे बहुत सारे ग्रुप द अगर आप नोटिस करेंगे 47 से लेकर 91 तक बहुत सारे फैमिली ग्रुप है लेकिन कुल मिलाकर दो-चार फैमिली ग्रुप भी हैं जिनके बारे में आप चर्चा करते हो क्योंकि इन ग्रुप के जो लीडर है इन्होंने इस मार्केट को संभल लिया 91 में ही आनंद महिंद्रा आए द जिन्होंने महिंद्रा ग्रुप को संभल लिया कूद रहे द
कुमार मंगलम बिरला उन्होंने बिरला ग्रुप का संभल लिया और इन्होंने टाटा ग्रुप को संभल लिया तो तीन बड़े फैमिली ग्रुप है जो आज भी डोमिनेंट है बहुत सारे ऐसे बड़े ग्रुप जो 91 से पहले बहुत बड़े-बड़े तूफान द 191 करने के बाद यह चीज समझ नहीं पाए संभल नहीं पाए और जीरो हो गए तो टाटा ग्रुप के जितने भी चेयरमैन हैं सब एक के बाप एक द जमशेद जी का विज़न नेक्स्ट लेवल था दरवा जी का एग्जीक्यूशन नेक्स्ट लेवल था जेआरडी की पर्सनैलिटी नेक्स्ट लेवल थी पर आज जो टाटा को आप देख रहे हो ये होता नहीं अगर हमारे प्यारे रतन टाटा नहीं होते तो ये थी रतन टाटा की कहानी और बहुत सारी
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